करे भी तो क्या कर
करे भी तो क्या करे ना रीत चले ना रिवाज़ चले अब करे भी तो क्या करे ना समाज चले ना हुकम चले अब करे भी तो क्या करे ना दवा चले ना दारू चले अब करे भी तो क्या करे ना ज़ोर चले ना जबरजस्ती चले अब करे भी तो क्या करे शायद इस हार में ही जीत है या इस जीत में ही हार है पर अब कम्बख़त करे भी तो क्या करे dedicated to last weeks Ahmedabad visit